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कविता

एक लहरा पानी

नीरज पांडेय


एक लहरा
पानी की कीमत
तुम क्या जानो बाबू
कई लीटर डीजल और एक आदमी की
दिन भर की मजूरी बचा देता है
एक लहरा पानी

किसानों की बातचीत बढ़ जाती है
खेतों में लगे
अपने अपने धानों से

बढ़ती बातचीत
किसानों का ढेर कुछ बढ़ा देती है
सपने बढ़ जाते हैं
उम्मीदें और फैल जाती हैं

बनियान का पूरा पीलापन
देह पर चिपकी पूरी मैल
काट देता है
एक लहरा पानी

आज किसान भर जान रहा है
एक दिन आएगा
जब सब जानेंगे
एक लहरा पानी की कीमत!


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